परिंदे
---- कहानी
नीलिमा आँगन मे बैठी हुई लेबर को काम बता रही थी की
पीछे वाले आँगन के सारे पेड़ काट कर सफाई कर दो , तीन दिन
मे यहाँ मैदान साफ चाहिए । लेबर कुछ सकपका गया कि- “इतने सारे पेड़ मैडम जी क्यों
कटवा देना चाहती है , जब कि ये तो फल दे रहे है और बगीचा भी
कितना सुंदर लग रहा है ।” उसने डरते हुए बोला- “मैडम जी हरे पेड़ नहीं
कटवाने चाहिए पाप लगता है ।“ कुछ गरजते हुए नीलिमा बोली –“चुपचाप काम करो मै
तुम्हें पैसे दे रही हूँ , तुम्हें नहीं करना तो कोई और
करेगा जिसको पैसा दूँगी वो करेगा ।“ “ठीक है मैडम मै कर
दूंगा “ और वह अपने काम मे जुट गया पहले नीचे घास सफाई की । दोपहर हो गई थी उसने
रोटी खाने की छुट्टी ली और वहीं एक पेड़ के नीचे खाने बैठ गया , खा पी कर उसने अपना गमछा बिछाया और वहीं लेट गया । उस पेड़ पर खूब सारी
चिड़िया बैठी ची ची चूँ चूँ कर इस डाल से उस डाल फुदक फुदक कर खेल रही थी । वो बड़े
ध्यान से उनको देखने लगा, उसका मन उन्हे खुशी से खेलते हुए
देख खुश हो रहा था । उसने सोचा कुछ ही देर बाद इनसे इनका घर छिन जाएगा और ये बेघर
हो जाएंगे । ये पाप मुझे करना ही पड़ेगा वरना मेरे बच्चे भूखे रह जाएंगे ।“ उसके मन
मे पाप का बोझ बढ़ता जा रहा था वो ग्लानि से भर गया । उसने सोचा नहीं करेगा वो ये
काम। उसने काम छोड़ कर जाने का निर्णय लिया
। जैसे ही वह चला उसके रोते कलपते बच्चो का मुंह उसके सामने आ गया । और वह रुक गया
सोचा – ‘ चलो मैडम जी को ही किसी तरह समझाया जाए शायद वो मान
जाए ।” नीलिमा तब तक आँगन मे आ चुकी थी उसने देखा लेबर खड़ा हुआ है और पेड़ एक भी
नहीं कटे है वो बिफर पड़ी –“ कामचोर कहीं के !!! आधा दिन निकल गया है और तेरा काम
अभी तक शुरू भी नहीं हुआ है ।” वो बोला – ‘ नहीं मैडम जी बस
काम करने जा ही रहे है , मैडम जी अगर आप गुस्साएं नहीं तो एक
बात कहना चाहते है ”, वह बोली – “ठीक है बोलो ।” उसने कहा –
“मैडम जी , हम काम करने ही निकले है काम तो हम करेंगे ही
लेकिन आप इन पेड़ों पर बैठे हुये पंछियों को देखिये मैडम कितने खुश है अभी अपने घर
मे है । आप इन पेड़ों को मत कटवाइए, इनका घर इनसे मत छीनिए ।”
वह बोली –‘मुझे यहाँ हास्टल बनाना है तुम यहाँ की सफाई करो
बस !!!’ उसने चुपचाप कुल्हाड़ी उठाई और चल दिया काम करने । “ठक-ठक’ ‘ठक –ठक’ कुल्हाड़ी पेड़ पर
आघात करने लगी, सारे पंछी शोर मचाते हुये इधर उधर उड़ने लगे ।
अपने घर के छिन जाने दुःख साफ झलक रहा था । नीलिमा वहीं कुर्सी लेकर बैठ गई – कहीं
लेबर काम चोरी न करने लगे बड़ी मशक्कत करने के बाद वह पेड़ काट पाया । शाम होने लगी
थी उसने छुट्टी कर ली मैडम से पैसे लिए और घर चला गया । आज उसके बच्चों को तो खाना
मिल गया लेकिन उसकी आत्मा धिक्कारती रही । ऐसा नहीं था कि उसने पेड़ पहली बार काटा
था ,हाँ !! हरा भरा पेड़ जरूर पहली बार काटा था उस पर कई तरह
के पंछी और नन्ही गौरैया का जोड़ा भी था । वे कहाँ गए होंगे ?
सोचते सोचते कब आंख लगी उसे पता नहीं चला । सुबह उठने पर उसका मन बड़ा अनमना था ।
वह काम पर नहीं जाना चाहता था लेकिन कल ही तो उसने देखा जब वह अपनी कमाई के पैसे
लेकर खाने पीने की चीजे लाया था बच्चे कितने खुश हुये थे । न चाहते हुये भी वह
जाने के लिए तैयार हो गया और काम पर पहुँच गया । आज उसको दूसरा पेड़ काटना था । जब
वह अपने काम को करने के लिए कुल्हाड़ी लेकर काटने चला तो अनायास उसकी नजर ऊपर उठ गई
वहाँ कोई पंछी नहीं था एक छोटी सी गौरैया अकेली बैठी थी । बार बार सिर घूमा कर
नीचे देखती कभी ऊपर देखती कभी उस मनुष्य को , जो पेड़ काटने
की खातिर कुल्हाड़ी लिए खड़ा था । चिड़िया नीचे उतरी जमीन पर उसके पैर के पास बैठ गई रामदीन
ने कुल्हाड़ी छोड़ दी उसके पास नीचे बैठ गया हाथ बढ़ाया चिड़िया उसके हाथ पर चढ़ गई
उसने उसको किसी ऊंचे स्थान पर रखना चाहा लेकिन चिड़िया उसके हाथ पर ही बैठी रही ।
तब तक नीलिमा की कड़कती हुई आवाज उसे सुनाई दी – ‘ क्या कर
रहे हो अभी तक काम क्यों नहीं शुरू किया ?’ वह बोला – देखिये
मैडम ये चिड़िया कुछ कह रही है, आप इसे अपने हाथ पर लीजिये ।‘ चिड़िया जैसे कुछ कह रही थी कभी नीलिमा को टुकुर टुकुर ताकती कभी रामदीन
को । आज सुबह नीलिमा को बड़ा अजीब सा लगा लगा जैसे सुबह नहीं हुई अभी । रोज तो
चिड़ियों की चहचहाने की आवाज कानों मे पड़ती थी बड़ा अच्छा लगता था । आज उन्हे भी कुछ
खटक रहा था ।
उस नन्ही गौरैया के भोले पन ने उनके मन को मोह लिया
था उन्होने निर्णय लिया कि –‘अब वे पेड़ नहीं कटवाएंगी । और
इस बगीचे को ज्यों का त्यो ही रहने देंगी ।‘ उन्होने रामदीन
से कहा कि –‘जाओ रामदीन अब इस बगीचे को यों ही रहने दो मै
पेड़ नहीं कटवाउंगी इन पंछियों का घर यों ही रहने दो । मै भी चंद पैसो कि खातिर
इतना सुंदर बगीचा उजाड़ कर हास्टल बनवाने जा रही थी सोच रही कि आस पास कई कालेज है
बच्चों को रहने की जगह चाहिये होगी सो .... और मेरा मन भी लगा रहेगा । लेकिन अब मै
इन पंछियों के साथ समय बिताऊँगी । तुम आज की दिहाड़ी ले लो कल से तुम हमारे बगीचे
की देखभाल का काम स्ंभलोगे । इनके खाने पीने का बंदोब्स्त करो ।‘ आज नीलिमा के बगीचे मे ढेरों चिड़ियाँ आती है उनको बहुत सुकून मिलता है
सारा समय कब इन पंछियों के साथ बीत जाता उन्हे पता ही नहीं चलता ।
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