ठंडी हवाओं के साथ हल्की बूँदा बाँदी भी हो रही थी । मौसम बड़ा खुशगवार हो गया था । यूनिवर्सिटी मे छात्रों और छात्राओं का जमघट जगह जगह लगा हुआ था । आज सभी के लिए बहुत बड़ा दिन था । आज परास्नातक के विद्यार्थियों का परीक्षा परिणाम आने वाला था । अपूर्वा बड़ी बेचैनी से अपने परिणाम का इन्तजार कर रही थी , क्योंकि इसके परिणाम से उसका आगे का भविष्य जुड़ा हुआ था । आगे वह एम बी ए करना चाहती थी क्योंकि यह उसके बड़े भाई प्रतीक की इच्छा थी । वह अपनी बहन को ऊंचाइयों पर देखना चाहता था । हालांकि उसके चार भाई थे , पर प्रतीक सबसे बड़ा था वह इंडियन आर्मी मे कैप्टन था , और कारगिल युद्ध के दौरान शहीद हो गया था । उसकी ही इच्छा पूरी करना अब अपूर्वा का जुनून बन गया था । बाकी तीनों भी अपूर्वा से बड़े ही थे और अपने बड़े भैया की तरह ही अपूर्वा पर जान छिड़कते थे । उन्होने भैया की इच्छा को पूरा करना अपना मकसद बना लिया था । उसकी आँख जिधर घूम जाती वो चीज उसकी हो जाती ।
अपूर्वा बला की खूबसूरत थी , काली लंबी घनी केश राशि , हिरनी के जैसी चंचल आंखे , मोतियों के जैसे सफ़ेद दांत , गुलाब की पंखुड़ियों जैसे होंठ , दूधिया सफ़ेद रंग , छरहरी काया , किसी को भी दीवाना बनाने के लिए काफी थी । जब भी घर से बाहर निकलती तो मम्मी पापा डरते ही रहते , अपने लड़कों के गुस्से से भी वे भली भांति परिचित थे । परीक्षा परिणाम जानने की उत्सुकता मे वह घर से पैदल ही यूनिवर्सिटी के लिए निकल पड़ी । किसी तरह यूनिवर्सिटी पहुँचने पर पता चला कि परिणाम घोषित हो चुका है , उसके पैरों से जैसे जान ही निकल गई । खींचते हुये कदमों से पहुंची । लिस्ट अपना नाम सबसे ऊपर देख उछल पड़ी । खुशी के मारे उसके आँसू निकल पड़े । उसने अपने भैया का सपना साकार कर दिखाया था । वह तकरीबन दौड़ती हुई सी अपने घर चल पड़ी , वह जल्दी से घर पहुँच कर मम्मी पापा भैया सबको खुशखबर दे देना चाहती थी , लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था , उसके कालेज का एक रईस बाप का बिगड़ा बेटा अमित जो उसी क्लास मे पढ़ता था उसकी जीत को बर्दाश्त नहीं कर पाया था , उसे अपूर्वा का पूरे कालेज मे प्रथम आना नागवार गुजरा । वो उसके रास्ते मे आ गया और उसकी ज़िंदगी पूरी तरह बरबाद कर गया । अपूर्वा विक्षिप्त सी अवस्था मे घर पहूँची , माँ उसको देखते ही समझ गयी कि कुछ जरूर हुआ है , अलग ले जाकर पूछा क्या हुआ ? उसने रोते रोते सारी कहानी सुना दी । माँ ने सिर पीट लिया ," जिसका डर था वही हुआ । "कितने भी रईस बाप का बेटा था वह! अपूर्वा के पिता भी नामी वकील थे , कानून के आगे कमजोर रहा और मुकदमे का नतीजा अपूर्वा के हक़ मे रहा । पिता ने उसे सजा करवा दी ।उसे आठ साल कठिन कारावास की सजा मिली । लेकिन ये अपूर्वा के जख्मों के लिए कम था । उसने ठानी कि उस गुंडे को को वह अपनी अदालत मे फैसला सुनाएगी , अभी उसका प्रतिशोध पूरा नहीं हुआ था । उसने अपनी पढाई आगे बढ़ाने का निश्चय किया । पिता ने और भाइयों ने उसका साथ दिया पर माँ थोड़ा खिलाफ रही । लेकिन बहुमत के आगे घुटने टेक दिये । अब उन्हे उसकी शादी की चिंता सताने लगी । समय पर शादी कर वे अपने कर्तव्य की पूर्ति करना चाहती थी । कौन करेगा इससे शादी का गम भी उन्हे भीतर ही भीतर साल रहा था । आखिर माँ जो थी , बेटी का कष्ट कैसे देख पाती । कई बार उससे कहा बेटा -" हमारे रहते शादी कर लेती तो अच्छा था । उसने बहाने बना कर टाल दिया । जिस दिन अमित जेल से रिहा हुआ उस दिन वह उससे मिलने पहुंची और उसे शादी के लिए मना लिया । अमित को तो मानो अंधे के हांथ बटेर लगी थी , तुरंत राजी हो गया । बस दोनों ने कोर्ट मे जाकर शादी कर ली । अपूर्वा के माता पिता और भाई बहुत नाराज हुए , उन्होने उसे आशीर्वाद भी नहीं दिया । वह चल दी अमित के साथ उसके घर ।
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